मुंबई। अगर 70 के दशक में हिंदी सिनेमा के सबसे बहुचर्चित डॉयलॉग “मेरे पास मां है” की तर्ज पर कहें तो इन दिनों हिंदी सिनेमा के सितारे एक नई चीज़ पर इतरा रहे हैं। वो शान से कहते हैं – मेरे पास किंडल है। बॉक्स ऑफिस के बादशाह शाहरुख खान इसके बिना घर से बाहर नहीं निकलते और जब भी फुर्सत में होते हैं तो बस उनकी आंखें इसी पर टिकी रहती हैं। अगर शाहरुख खान के करीबियों की भाषा में कहें तो शाहरुख खान को किंडल से प्यार हो गया है। इन दिनों शाहरुख की पत्नी गौरी विदेश दौरे पर हैं और शाहरुख शूटिंग के बाद ज़्यादतर वक़्त या तो बच्चों के साथ बिताते हैं या फिर किंडल के साथ।
किंडल क्या है, इसे तफसील से समझने से पहले ये भी जान लीजिए कि शाहरुख खान आखिर बिना गौरी के कैसा महसूस कर रहे हैं। अपने चाहने वालों के साथ मंगलवार को ट्विटर पर करीब दस मिनट तक लगातार घुलते मिलते रहे शाहरुख ने कहा कि वो आज़ाद महसूस कर रहे हैं और वे सारी चीज़ें करने जा रहे हैं, जिस पर गौरी के चलते पाबंदी रहती है। उन्होंने इस दौरान ये राज़ भी खोला कि गौरी से उनकी मुलाकात उन स्कूल पार्टियों के दौरान हुई जिनमें लड़के और लड़कियां अलग अलग कोनों में बैठे रहते थे और फिर किसी लड़की से साथ में नाचने की फरमाइश करते थे। गौरी को उन्होंने अपनी मां की पसंद भी बताया। फुर्सत मिलते ही शाहरुख एक क़िताब भी पूरी करना चाहते हैं, जिसे वह काफी दिनों से लिख रहे हैं, लेकिन उन्हें अफसोस है कि अक्सर दूसरे कामों में व्यस्त हो जाने के कारण वह इसके लिए समय नहीं निकाल पाते। इस दौरान एक सवाल के जवाब में शाहरुख ने ये भी कहा कि सियासत उन्हें समझ नहीं आती।
अपने प्रशंसकों से बातचीत के दौरान शाहरुख ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि पूरा देश ट्वेंटी 20 के खुमार में है और किसी ने इस बात की भी परवाह नहीं कि भारतीय हॉकी टीम अजलान शाह कप में कितना उम्दा खेल दिखा रही है। कभी धुंआधार सिगरेट पीने वाले शाहरुख ने अपने चाहने वालों के बीच इस बात से भी इनकार किया कि इसके चलते उन्हें अपने फेफड़ों का ऑपरेशन कराना पड़ा है।
क्या है किंडल?
और अब बात किंडल की। किंडल दरअसल 21वीं सदी के तकनीकी चमत्कारों में जुड़ी एक नई कड़ी है। किंडल एक तिहाई इंच से पतली एक मैगज़ीन की तरह है, जिसका वजन एक आम किताब से भी काफी कम होता है। आकार है 6 इंच से लेकर करीब 10 इंच तक और वजन महज तीन सौ ग्राम। तेज़ी से डिजिटल होती दुनिया में इसका इस्तेमाल आने वाले दिनों में हर वो शख्स करता नज़र आ सकता है जिसे किताबों से प्यार है। स्कूलों में ये बच्चों को भारी भरकम बस्तों से निजात दिला सकता है क्योंकि इसमें एक बार में आप डेढ़ हज़ार से लेकर साढ़े तीन हज़ार तक किताबें स्टोर कर सकते हैं।
सबसे बड़ी खूबी
किंडल की सबसे बड़ी खूबी है, इसका हमेशा ऑन लाइन रहना। इसके लिए आपको ना तो अलग से कोई इंटरनेट कनेक्शन लेने की ज़रूरत है और ना ही कोई मासिक या वार्षिक शुल्क देना है। आप दुनिया में कहीं भी जाएं, ये उपकरण 3 जी तकनीक से हमेशा अपने मदर सर्वर से जुड़ा रहता है। आप को जो भी किताब पढ़नी हो, बस उसे सेलेक्ट करना है और 60 सेकंड में ये किताब आपके किंडल पर डाउनलोड हो जाएगी। इसकी जो खूबी इसे लैप टॉप या पाम टॉप से भी बेहतर बनाती है वो है इसे किसी क़ागज़ की पत्रिका की तरह पढ़े जाने की खूबी। जी हां, इसमें किसी भी तरह की चमक नहीं होती है और तेज़ रोशनी में भी इसका आंखों पर कोई असर नहीं पड़ता। इसे एक बार चार्ज करने के बाद आप पूरे एक हफ्ते तक लगातार किताबें पढ़ सकते हैं और ज़रूरत होने पर अपने ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स भी पीडीएफ फॉर्मेट में इसमें ले जा सकते हैं।
पढ़िए मनपसंद पुस्तकें
फिलहाल 5 लाख नई किताबों वाले इसके सर्वर पर रोज़ाना नई किताबें और पत्रिकाएं जुड़ रही हैं। वैसे अगर बिना कॉपी राइट वाली किताबों की बात की जाए तो 1923 से पहले प्रकाशित हुई करीब 18 लाख किताबें इस पर मुफ्त में पढ़ने के लिए मौजूद हैं। और, अगर आप अपनी आंखों को आराम देना चाहते हैं तो किंडल आपको आपकी मनपसंदीदा किताब पढ़कर भी सुना सकता है।
कितनी है कीमत?
और रही बात कीमत की तो ये आपके लेटेस्ट मोबाइल की कीमत के ही करीब है। किंडल का बेसिक मॉडल जहां करीब 13 हज़ार रुपये का है वहीं इसके डीलक्स मॉडल की कीमत है करीब 25 हज़ार रुपये। कीमत का ये फर्क इसकी स्टोरेज क्षमता और स्क्रीन के आकार को लेकर है।
ल्रान्ति=क्रान्ति
जवाब देंहटाएंकिंडल ल्रान्ति का हिस्सा शाहरुख भी बन गये.
जवाब देंहटाएंहां, समीर भाई। शाहरुख हिंदी सिनेमा के सबसे टैक्नोसैवी कलाकार माने जाते रहे हैं। एक बार फिर वो दूसरों से दो कदम आगे दिखाई दिए किंडल के जरिए।
जवाब देंहटाएंसर्,
जवाब देंहटाएंवैसे तो पूरे विश्व में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या के हिसाब से भारत देश का दूसरा स्थान है, और ये भारत में 14 फीसदी है....लेकिन हिन्दी बोलने वालों की संख्या भारत में 55 फीसदी है...क्या किंडल ने भारत मे अपनी लांचिग के बाद इन 55 फीसदी लोगों का ख्याल रखा है....या फिर इसे सिर्फ सीमित दायरे के 14 फीसदी लोग ही इस्तेमाल कर पायेंगे..........