किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है..! - शैलेंद्र (1959)
मंगलवार, 10 सितंबर 2013
टोपी टोपी, इनकी पहचान बताती है..
टोपी टोपी, इनकी पहचान बताती है..
पंकज शुक्ल
बात इनकी, इनकी पहचान बताती है
आदत इनकी, इनकी पहचान बताती है।
किए थे वादा, सूबे की नई सूरत का,
कैसे ये सूबेदार? इनकी पहचान बताती है।
बदले हैं रोज़ रंग, ये नाईं गिरगिट के,
टोपी टोपी, इनकी पहचान बताती है।
धुआं ये कैसा फिर से मेरी बस्ती पर,
झुलसी हुई हथेली, इनकी पहचान बताती है।
‘पंशु’ न कर ऐतबार, अब किसी जवानी पर
बूढ़े थे इनके बदतर, इनकी पहचान बताती है।
10.09.2013
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