मुंबई कांग्रेस के दबंग नेता रहे कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन ने पहले हिंदी सिनेमा में बतौर हीरो एंट्री करने की कोशिश की तो निर्देशकों ने उसे दुत्कार दिया। फिर, उसने पैसे का ज़ोर दिखाया तो बड़े बड़े निर्देशक उसके आगे पीछे डोलने लगे। लेकिन, जब से बंबई हाईकोर्ट का निर्देश आया है, हिंदी सिनेमा के तमाम लोग उस शख्स के बारे में खबरें तलाशते रहे हैं जो उनसे कृपाशंकर के बेटे के तौर पर मिला तो करता था लेकिन अपना नाम संजय सिंह बताता था। असलियत खुली तो लोग सवाल ये पूछने लगे कि क्या उड़ान और तनु वेड्स मनु जैसी अतिचर्चित फिल्मों में कृपाशंकर के बेटे ने जो पैसा लगाया, वो उन्हीं खातों से आया जिनके बारे में बंबई हाईकोर्ट ने हवाला के लेने देन में शामिल होने का शक़ जताया है?
© पंकज शुक्ल
बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक के सीधे निशाने पर आए मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन सिंह के चारों तरफ कानून का घेरा तेजी से कसता जा रहा है। कभी हिंदी फिल्मों में हीरो बनने के लिए कोरियोग्राफर बॉस्को के साथ फिल्म निर्देशकों के दफ्तरों के चक्कर काटने वाले नरेंद्र मोहन सिंह को हिंदी सिनेमा के लोग अब भी संजय सिंह के नाम से ही जानते हैं। भवन निर्माण कारोबार में नरेंद्र मोहन के नाम से और फिल्म कारोबार में संजय सिंह के नाम से काम करने की जरूरत इस दबंग कांग्रेस नेता के बेटे को क्यूं पड़ी? इस सवाल को लेकर मुंबई पुलिस भी गोल गोल घूम रही है।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि नरेंद्र मोहन सिंह को संजय सिंह के तौर पर फिल्म जगत में स्थापित करने में एक बड़े और नामचीन फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप का बड़ा हाथ रहा है। इस निर्देशक की फिल्म देव डी के वेनिस फिल्म फेस्टिवल में हुए प्रीमियर के दौरान ही लोगों ने पहली बार संजय सिंह का नाम सुना और इसके अगले ही साल संजय सिंह और इस निर्देशक ने मिलकर एक चर्चित फिल्म उड़ान बनाई जो कान फिल्म समारोह तक जा पहुंची। इस फिल्म की तथाकथित कामयाबी के प्रचार प्रसार पर लाखों रुपये बहाये गए, जबकि फिल्म प्रोडक्शन हाउस के सूत्रों के मुताबिक फिल्म कारोबार के लिहाज से ज्यादा कामयाब नहीं रही। संजय सिंह का प्रोडक्शन हाउस संजय सिंह फिल्म्स के नाम से काम करता है और दो सफल फिल्मों उड़ान व तनु वेड्स मनु में संजय सिंह फिल्म्स का पैसा लगा होने का दावा खुद उनके इस प्रोडक्शन हाउस की वेबसाइट करती है। सूत्र ये भी बताते हैं कि फिल्म तनु वेड्स मनु में संजय सिंह का और इस फिल्म को शुरू करने वाले निर्माता का पैसे के लेन देन को लेकर झगड़ा भी हुआ और बाद में ये विवाद निर्माताओं की संस्था तक भी पहुंचा।
पुलिस के पास जानकारी ये भी है कि संजय सिंह फिल्म्स का कारोबार तकरीबन उसी दौरान खड़ा होना शुरू हुआ जब कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन के बैंक खातों में ताबड़तोड़ पैसे जमा कराए जा रहे थे। इधर नरेंद्र मोहन बतौर संजय सिंह बड़े सितारों से मिल रहे थे और उधर 500 रुपये जमा करके खोले गए उनके खातों में दो साल के भीतर 60 करोड़ रुपये जमा हो गए। नरेंद्र मोहन सिंह की आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा इस रकम के हवाला कारोबार से इकट्ठा होने की आशंका बंबई उच्च न्यायालय अपने निर्देश में जता भी चुका है। प्रवर्तन निदेशालय को इसकी जांच भी सौंपी जा चुकी है। सूत्र बताते हैं कि संजय सिंह की मंशा एक बड़े खान सितारे को लेकर अपने दोस्त निर्देशक के साथ एक बड़ी फिल्म बनाने की थी लेकिन इस खान सितारे ने तब तक वो फिल्म साइन कर ली थी जिसमें वह जल्द ही एक पुलिस अफसर के किरदार में नजर आने वाला है।
बात बिगड़ने के बाद संजय सिंह और ये निर्देशक अलग अलग हो गए। वैसे अनुराग का कहना है कि उन दोनों में अलगाव फिल्म उड़ान की कामयाबी के क्रेडिट को लेकर हुआ। उनका ये भी कहना है कि अपनी पहली बीवी द्वारा घर से निकाले जाने के बाद संजय सिंह ने उन्हें बांद्रा में रहने को जगह दी और तब से लेकर अब तक उन्हें कभी ये नहीं मालूम पड़ा कि संजय सिंह का नाम नरेंद्र मोहन सिंह भी है। अनुराग कहते हैं कि संजय सिंह और उनके रिश्ते 2006 से लेकर 2010 तक रहे और उसके बाद से दोनों में दुआ सलाम बंद है। फिल्म बनाने के लिए संजय सिंह से कर्ज लेने की बात भी इस फिल्म निर्देशक ने मानी और इसे वापस करने की बात भी स्वीकार की। हालांकि, ये बताने से वह आखिर तक परहेज करते रहे कि आखिर जो कर्ज उन्हें मिला, वो नकद था या चेक से। और अगर चेक से मिला तो फिर उस पर दस्तखत किसके थे? नरेंद्र मोहन सिंह के या संजय सिंह के? वह यह भी कहते हैं कि एक फिल्ममेकर के नाते उनका ध्यान फिल्म बनाने पर रहता है और फिल्म बनाने का पैसा किन स्रोतों से आ रहा है, इस पर अक्सर निर्देशकों का ध्यान कम ही जाता है। संजय सिंह को अपने बूते कामयाबी पाने वाला इंसान बताते हुए अनुराग ने ये भी कहा कि संजय सिंह न होते तो उड़ान बन नहीं पाती। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोहन सिंह के पिता कृपाशंकर सिंह भी आयकर अधिकारियों को अपने पास दो पैन कार्ड होने की सफाई दे चुके हैं। इस बारे में बात किए जाने पर मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी निसार तंबोली ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच खुद मुंबई पुलिस कमिश्नर की निगरानी में हो रही है और फिलहाल उनकी तरफ से कोई बयान अभी तक इस बारे में जारी नहीं हुआ है।
संडे नई दुनिया के 4 मार्च 2012 के अंक में प्रकाशित।
कटोरा में कटोरा, बाप से आगे छोरा। एक बेहतरीन खोजपरक रिपोर्ट के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जगदीश भाई..
जवाब देंहटाएंऐसे ही दोमुंहे लोग देश को खा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंsarthak saral sunder post ........sahi kaha aapne .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शशि जी..
हटाएं