पंकज शुक्ल
एक तरफ कुरान की चंद आयतें एक आकर्षक तख्ती पर सुनहरे लफ्ज़ों में नक्श हैं। पास में किशोर शाहरुख की एक फोटो रखी है। सोफे के बिल्कुल करीब एक स्टूल पर शाहरुख की मां जन्नतनशीं लतीफ़ फ़ातिमा खान की तस्वीर मुस्कुरा रही है। चेहरे पर ओज, आंखों में ममता और कुल मिलाकर एक ऐसा चुंबकीय व्यक्तित्व जो चुगली करता है कि शाह रुख का नाम आखिर कुछ और क्यूं हो ही नहीं सकता था।
किसी बड़े फिल्मी सितारे के घर दावत का न्यौता मिलना यूं तो खास नहीं है, लेकिन दावत अगर शाहरुख खान ने रखी हो और वो भी अपने बंगले मन्नत पर, तो मामला थोड़ा खास तो ज़रूर हो जाता है। मन्नत के गेट से ही पता चलने लगता है कि एक सुपरस्टार आखिर सुपरस्टार क्यों होता है? चौकीदार से लेकर निजी स्टाफ तक आपका स्वागत शाहरुख खान के निजी मेहमान के तौर पर करते हैं। तय वक्त पर मैं शाहरुख खान के ड्राइंग रूप में और चंद ही मिनटों में शाहरुख भी अपने निजी कमरे से निकलकर ड्राइंग रूम में। समय से पहुंचने की आदतें अक्सर फायदेमंद साबित होती हैं। आमंत्रित पत्रकारों में से अब तक मैं ही पहुंचा था और शाहरुख ये देखने आए थे कि नीचे सब इंतजाम ठीक तो है। सोफे पर मुझे अकेले बैठा देख शाहरुख मुस्कुराए। साथ में सांवली सलोनी बिटिया सुहाना। शाहरुख ने अदब से सिर झुकाया। दाहिना हाथ अब भी चुटहिल है तो बायां हाथ आगे बढ़ाया। बिटिया के चेहरे पर भी स्वागत वाली मुस्कान तैर गई। शाहरुख थोड़ी देर में लौटने की इजाज़त लेकर थिएटर की तरफ निकल गए। और, मैं फिर से अकेला शाहरुख के ड्राइंग रूप में। तीन चार कारिंदें हैं खैरमकदम के लिए। मुझसे पेय पसंद पूछी जाती है। मैं बोलता हूं, मसाला चाय बिना चीनी की। भाई थोड़ी देर में लौटता है, उतरा चेहरा लेकर, सर, चाय नहीं है, ड्रिंक्स करेंगे?
मुंबई के फिल्म पत्रकार ऐसे आयोजनों में देरी से पहुंचने के आदी हैं। और, इस आदत के चलते मुझे मौका मिला कोई घंटे भर शाहरुख के ड्राइंग रूम में रखी हर चीज़ को बारीकी से देखने का। एक तरफ कुरान की चंद आयतें एक आकर्षक तख्ती पर सुनहरे लफ्ज़ों में नक्श हैं। पास में किशोर शाहरुख की एक फोटो रखी है। सोफे के बिल्कुल करीब एक स्टूल पर शाहरुख की मां जन्नतनशीं लतीफ़ फ़ातिमा खान की तस्वीर मुस्कुरा रही है। चेहरे पर ओज, आंखों में ममता और कुल मिलाकर एक ऐसा चुंबकीय व्यक्तित्व जो चुगली करता है कि शाह रुख का नाम आखिर कुछ और क्यूं हो ही नहीं सकता था। ख़ैर, मेरी नज़रें पूरे ड्राइंग रूप में घूम रही हैं। टेबल पर एक सजावटी अखबार रखा है। अखबार के नाम की जगह छपा है- हेडलाइंस टुडे। पास में एक बड़ी सी किताब में कुछ ब्लैक एंड व्हाइट फोटो खुले हैं। कुछ ही दूरी पर एक सजा धजा बार है। और, उसके ही करीब एक और टेबल पर है टैगोर का साहित्य। ड्राइंग रूम इतना बड़ा है कि एक कोने से दूसरे कोने तक नज़र को तैरते तैरते पहुंचने में भी कोई तीन चार मिनट का वक़्त लगता है और सामने जो दिखता है, उससे फिर झलक मिलती है शाहरूख और गौरी के प्यार की। जी हां, कमरे के एक कोने में अगर कुरान की आयतें हैं तो ठीक सामने के कोने में है राधा कृष्ण का भव्य मंदिर। स्याह संगमरमर की बनी सुंदर मूर्तियां और नीचे छोटे छोटे तीन या चार गणपति।
मेहमान अब आने लगे हैं। दीपिका पादुकोणे भी लहराती इतराती सी ड्राइंग रूप में चहक रही हैं। शाहरुख अपनी बेटी के साथ फिर से ड्राइंग रूप में हैं। हर एक से पूरे अदब के साथ मिल रहे हैं। थोड़ी ही देर में उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म का फर्स्टलुक हम लोगों को देखना है। रोहित शेट्टी वहीं थिएटर में हैं। तनाव तो होगा ही। अजय देवगन को छोड़ वह अब शाहरुख के साथ गाड़ियां उड़ाने वाले हैं। शाहरुख बार बार घड़ी देख रहे हैं। प्रेस कांफ्रेस में देरी से पहुंचना भले ठीक हो, पर घर आए मेहमानों को इंतज़ार कराना? ना बाबा ना। पता चलता है कि भारी बारिश और ट्रैफिक के चलते कुछ पत्रकार अब भी रास्ते में हैं। ठीक दस बजे शाहरुख के मन्नत में बने मिनी थिएटर में हम लोग दाखिल होते हैं। कुर्सियों के आर्म रेस्ट पर पहले से रखी कटोरियों में पॉप कॉर्न भरे जा चुके हैं। रोहित शेट्टी हैरान परेशान से नमूदार होते हैं। शाहरुख दीवार से टिककर खड़े हैं। वो नहीं बैठे तो दीपिका और रोहित भी कोना पकड़े खड़े हैं। ट्रेलर शुरू होता है। रेड चिलीज़ के स्पेशल इफेक्ट्स से लैस ट्रेलर में शाहरुख फिर से करण अर्जुन और ओम शांति ओम वाले रंग में दिखते हैं। दीपिका साउथ इंडियन गेटअप में और सुंदर दिखती हैं। कॉस्ट्यूम डिजाइनर की मेहनत नज़र आ रही है। कैमरा वर्क माल का है और रोहित ने तमाम गुणा भाग लगाकर कुछ अलग टाइप के एक्शन सीक्वेंस भी खींच डाले हैं। ट्रेलर पास है। पिक्चर अभी बाकी है।
ट्रेलर खत्म हुआ तो आवाज़ें आईं, वंस मोर। शाहरुख बोले, फिल्म देखो ना देखो, ट्रेलर तो हम दो बार दिखा ही सकते हैं। मूड में हों तो शाहरुख मज़ाक बहुत करते हैं। ट्रैलर देखने के बाद दावत शुरू हो रही है। शाहरुख ने फिर सारे मेहमानों से मिलना शुरू किया। एक एक करके। रुक रुक करके। इस बार वो ज्यादा देर रुक रहे है। बात पता नहीं कैसे पानी की बर्बादी पर आ रुकती है और शाहरुख बताते हैं एक वॉटर मैन के बारे में। 90 साल से भी ज्यादा उम्र के वॉटर मैन के बारे में। हमारे आपके बहुत पुराने अजीज़ हैं...जानेंगे उनके बारे में तो आप भी चौंक जाएंगे..(जारी)
इतना सचित्र वर्णन किया हैं,कि पढनें के बाद ऐसा लग रहा हैं,कि अभी मन्नत से ही आ रहा हूँ।सर अनुरोध हैं,कि जल्द ही आगे की कहानी भी बता डालिएं।दोबारा मन्नत जाने का मौका मिल जाएंगा।
जवाब देंहटाएंअगली पोस्ट का इंतजार....
जवाब देंहटाएंVaakai bahut achcha laga padhkar lekin us watermen ke baare me padhna chahenge. Dhanyvad
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