मंगलवार, 9 जून 2009

आदमी हो आदमी की शान रखना तुम


रायपुर से स्नेही स्वजन श्री गिरीश पंकज जी ने आज एक कविता मेल की, दिल के करीब लगी, इसलिए यहां आपके सबके लिए रख रहा हूं -


हो मुसीबत लाख पर ये ध्यान रखना तुम,

मन को भीतर से बहुत बलवान रखना तुम।

बहुत संभव है बना दे भीड़ तुमको देवता,

किंतु मन में एक अदद इंसान रखना तुम।

हर जगह झुकते रहो ये आचरण कैसा,

आदमी हो आदमी की शान रखना तुम।



-- गिरीश पंकज
(बस्तर के चित्रकोट झरने के विस्तार में पेट भरती बकरियां। फोटो: पंकज शुक्ल)

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया,
    पंकज जी को पढ़वाने के लिए धन्यवाद
    वीनस केसरी

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया।
    चित्र ने मन में तरावट भर दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. गिरीश पंकज जी को मेरी बधाई पहुंचा दे

    जवाब देंहटाएं
  4. badhiya hai sir, jisne likha usse bhi aur jinhone padhwaya unhe bhi..

    behtar hai.

    Pankaj Tripathi.

    जवाब देंहटाएं