बापू पूरा जीवन सीना तान के चले। तब भी जब अंग्रेजों ने दक्षिण अफ्रीका में उन्हें रेल के डिब्बे से बाहर फेंक दिया। तब भी जब बिहार में नील के खेती करने वालों को उन्होंने उनका हक़ दिलाया। और, तब भी जब नाथूराम गोडसे की पिस्तौल उनके सीने के सामने तन चुकी थी।
बस बापू का सिर झुक जाता था तो गरीब देशवासियों की लाचरगी देखकर, उनकी गरीबी देखकर और उनकी आंखों में पलने वाले सपनों को चकनाचूर होते देखकर। मोहनदास करमचंद गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने बापू कहा। देशवासियों से खून मांगने वाले एक सेनानी का अहिंसा को सबसे बड़ा हथियार बताने वाले दूसरे सेनानी को दिया गया ऐसा सम्मान कि पूरे देश ने साबरमती के इस संत को अपना बापू मान लिया।
बापू का पूरा जीवन विरोधाभासों से घिरा रहा। वो पूरे देश के बापू थे, लेकिन उनका अपना बेटा उनके सिद्धांतों का बाग़ी हो गया। बापू की प्रतिमा से चंद कदमों की दूरी पर संसद में बहस के नाम पर करोड़ों फूंक देने वाले तमाम नेताओं ने बापू से शायद ही कुछ सीखा हो। लेकिन सौ करोड़ भारतीयों की उम्मीदों पर पानी फिरने से बचाने का काम एक ऐसे शख्स ने किया, जिससे शायद बापू जिंदा होते तो कन्नी काटकर निकल जाते। जी हां, एक शराब का सबसे बड़ा विरोधी और दूसरा देश का लिकर किंग।
चांद पर तिरंगा लहराने वाले सौ करोड़ भारतीयों के पास अपने बापू की घड़ी, उनकी ऐनक, उनकी पीतल की कटोरी प्लेट और उनकी चप्पलें जल्द वापस आएंगी। सरकार जहां चूक गई, वहां कारोबार जगत के एक नुमाइंदे ने देशवासियों की उम्मीदें सांसत में फंसने से बचाईं। माल्या पहले भी टीपू की तलवार हिंदुस्तान ला चुके हैं। शुक्रिया, लिकर किंग। आपकी तिजोरी से कम हुए 18 लाख डॉलर, सौ करोड़ हिंदुस्तानी फिर भी चुका सकते हैं, लेकिन, बापू की विरासत बचाने की जो कीमत है, उसे अशर्फियों से भी नहीं तौला जा सकता।
सबसे अच्छी बात लगी.. जिस तेज़ी से आपने ये लेख लिखा है... अभी थोड़ी देर पहले ही तो ख़बर आई.. और आपने इतना शानदार लेख लिख दिया... वाकई मान गए गुरु...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया :)
जवाब देंहटाएंकिसी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनके विचारों और भावनाओं का कद्र करने से होती हैं ... बापू की इन वस्तुओं का वापस लाया जाना तब अच्छा माना जा सकता था ... जब उन्होने अपने जीवन में इन सब वस्तुओं को महत्व दिया होता ... उन्होने तो खुद कई बार अपनी वस्तुओं को बेचकर उन पैसों से जनता के लिए कल्याणकारी कार्य किए थे ।
जवाब देंहटाएं... प्रसंशनीय व प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!!!
जवाब देंहटाएंमाल्या को देश के सम्मान की चिंता नेताओं से ज्यादा थी......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेख.................
होली की शुभकामनाएं स्वीकार करें.....................