गया वो ज़माना जब हम गुहार लगाते थे, बेटी बचाओ, बेटी बचाओ। अरे, बेटी तो खुद हमको बचा रही है। न मां होती न हम होते। वही तो सृष्टि की शुरूआत है। वही तो घर, समाज और परिवार को बचाती है। तो अब हमें ये मान लेना चाहिए – बेटी ही बचाएगी। मेरी ये नई कविता इन्हीं भावनाओं को समर्पित है। हिंदी के सबसे बड़े अख़बारों में से एक “अमर उजाला” की अनोखी पहल “बेटी ही बचाएगी” के लिए लिखी गई इस कविता को मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने स्वर दिए हैं।
पंकज शुक्ल
(फिल्म 'गुलाब गैंग' के अपने किरदार रज्जो देवी के गेटअप में माधुरी दीक्षित और फिल्म के निर्माता अनुभव सिन्हा मुंबई में 'बेटी ही बचाएगी' मुहिम का पोस्टर जारी करते हुए)
मां
आशीर्वाद देगी
और,
पैरों पर
चलना सिखाएगी।
बहन
साथ देगी
और,
इज़्ज़त से
जीना सिखाएगी।
बीवी
हौसलों को
परवाज़ देगी
और,
ताक़त
बटोरना सिखाएगी।
और, बेटी?
बेटी तो
घर की लक्ष्मी थी,
है और रहेगी..
और, जब भी
घर, परिवार
और समाज पर
मुसीबत आएगी,
बेटी ही बचाएगी।
बेटी ही बचाएगी।
© पंकज शुक्ल 2014
सुंदर भाषण.
जवाब देंहटाएंजै जै।
हटाएंबहुत बहुत बधाइयाँ ... :)
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश देती कविता |
धन्यवाद शिवम् भाई.
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंFantastic!!!
जवाब देंहटाएंबेटी ही बचायेगी। बचाती रही है। सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंMujhe lagta hai beti yadi kisee ko naa bhi bachaye, bas aur sabhi logon ki tarah apni zindagee apne tareeke se jeena chahe, to bhi kyaa hamare samaaj mein betiyon ke janam par khushiyan manayee jayengi?
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