अगर आपको लगता है कि फिल्म मेकिंग में प्रवेश पाना आसान नहीं है और वहां सिर्फ सिफारिशी लोगों की ही पहुंच होती है, तो आप गलत है। पत्रकार से फिल्म मेकर बने पंकज शुक्ल ने नई प्रतिभाओं को आगे लाने के अपने अभियान के तहत इस बार नए लेखकों को तलाशने का बीड़ा उठाया है। पंकज अगले कुछ महीनों में अपनी नई शॉर्ट फिल्म की शूटिंग शुरू करने जा रहे हैं, 35 MM पर बनने जा रही इस फिल्म के लिए उन्हें ज़रूरत है एक संवेदनशील पटकथा लेखक की। इसके लिए सभी मीडिया कर्मियों से प्रविष्टियां आमंत्रित हैं, पेशेवर लेखक भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं, सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक को पुरस्कार स्वरूप 11 हज़ार रुपये की धनराशि दी जाएगी।
फिल्म की कहानी एक बच्चे पर केंद्रित है, इसलिए इस प्रतियोगिता में वे लोग बेहतर ढंग से शरीक हो सकते हैं जिन्हें बच्चों की मानसिकता की समझ है या जिन्हें बच्चों के दृष्टिकोण से कहानी या पटकथा लिखने का शौक रहा है। कहानी का प्लॉट इच्छुक लोगों को मेल के जरिए भेजा जाएगा और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पटकथा मेल के जरिए ही पंकज शुक्ल को भेजनी है। पंकज शुक्ल से संपर्क का ई पता है - pankajshuklaa@gmail.com
पत्रकार से फिल्म मेकर बने पंकज शुक्ल अब तक एक फीचर फिल्म, चार शॉर्ट फिल्म्स और तमाम डॉक्यूमेंट्रीज़ व टीवी सीरीज़ बना चुके हैं। इस समय पंकज ज़ूम चैनल के लिए एक रीएल्टी शो और ताकि सनद रहे नाम की एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ पर काम कर रहे हैं। पटकथा भेजने की अंतिम तिथि 2 मई 2010 है।
Badhai ho Pankaj ji.. jaldi hi aapse sampark karenge 'kuchh' bhejne ke liye.
जवाब देंहटाएंshukriya. :)
vaise abhi tak maine Munshee Premchand ji ki kahaniyon ko hi play me tabdeel kar use act aut direct kiya hai lekin ab kuchh aur bhi kar sakte hain
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दीपक भाई..
जवाब देंहटाएंmumbai pahunch gaye kya... kab milna hai
जवाब देंहटाएंMumbai pahunch gaye kya.... kab milna hai
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग के माध्यम से आपका परिचय पा कर अच्छा लगा. पटकथा प्रतियोगिता संबंधी आपका यह प्रयास नायाब है. इस पोस्ट की हिन्दी ब्लॉगजगत में प्रसार की आवश्यकता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढकर हिस्सा ले पावें.
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय है आपका यह कार्य, अब देखियेगा आम आदमी की लेखनी चलेगी जो कहीं कोई चलने नहीं देता :)
जवाब देंहटाएंआपने कई लोगों के लिए दरवाजा खोल दिया।
जवाब देंहटाएंजिस-जिस तक यह पोस्ट पहुंचेगी, उनकी कहानियां संभालने के लिए तैयार हो जाएं।
पटकथा लेखन के लिए वैसे तो अक्सर लोग कहीं ना कहीं से सीखने को कहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि किसी कहानी का जितना अच्छा विजुएलाइजेशन मेरी दादी या मम्मी कहानी सुनाते समय किया करती थीं/हैं। वो किसी भी अच्छे पटकथा लेखक को मात दे सकता है। किस्सागोई की परंपरा रही है अपने यहां, और इसमें किसी कहानी को श्रोता की आंखों के सामने घटते महसूस करा देनी की ताक़त रही है। बस पटकथा लेखन यही है। कहानी सोचने के बाद जैसे जैसे आप उसे घटते देखना चाहते हैं, लिखते जाइए। पटकथा तैयार है। साथ में संवाद भी लिखते जाएं तो सोने पर सुहागा।
जवाब देंहटाएंसंजीव, विवेक, नरेश। आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया।
निशीथ, मैं पिछले कई दिनों से मुंबई में ही हूं। लेकिन कल सुबह दिल्ली के लिए निकल रहा हूं।
जवाब देंहटाएं'mithalabaraa ki aatmkathaa'' ka bhee dhyaan rakhanaa. koi mil jaaye to iss upanyaas par bhi -naye sandarbho ko jod kar- ek pat-kathaa likhavaayee jaa sakatee hai. raipur aaye...khushaboo bikharaayee...ayr furr se ud gaye... bahut yaad aatee hai bhaai...
जवाब देंहटाएंलीजिए एक अच्छी सूचना।
जवाब देंहटाएंपंकज जी , मेल से आपके पास अपनी मंशा लिख चुका हूं , आगे आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी , हम भी कोशिश करना चाहेंगे
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पहल....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद और बधाई
आप आदेश कर रहे हैं..मैं भी कोशिश करुँ क्या पंकज भाई..शायद लह जाये. :) कपया मेल से मार्गदर्शन दें तो कोशिश की जाये..ईमेल--sameer.lal@gmail.com
जवाब देंहटाएंपंकज भाई
जवाब देंहटाएंएक बार आपसे होटल बेबीलोन में एक फिल्म की लांचिग के दौरान मुलाकात हुई थी। देशपाल सिंह पवार जी ने भी मुझे आपके बारे में बताया था। पैसों के लिए तो नहीं लेकिन... मुझे लगता है कि शायद मैं आपका काम कर सकता हूं। मेरे ब्लाग पर पड़ी हुई सामाग्री को आप थोड़ा देख लेंगे और उसके बाद यदि आपको लगता है कि मैं यह काम कर सकता हूं तो प्लाट भेज दीजिएगा।
film pt kthaaon men hqiqt ki kmi hoti he agr zrurt smjo to bndaa haazir he. akhtar khan akela kota rajasthan
जवाब देंहटाएंटिप्पणी इसलिए दे रहा हूं कि टिप्पणी पढ़ कर ही सही और भी सभी जो चाहते हैं जुड़ना जुड़ सकें। जल्दी पढ़ें और जुड़ें कहीं देर न हो जाये।
जवाब देंहटाएंऔर एक बार तो रह गई। दिल्ली पहुंच कर फोन कीजिए ताकि संभव हो और संयोग बने तो मुलाकात हो सके। 09868166586
जवाब देंहटाएंक्या यह प्रविष्टि सभी के लिए है मेरे पास अपनी संस्था के बच्चोंके बहुत से अनुभव है अगर मैं कहू ण कि हर बच्चा अपने में एक कहानी है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी| क्या मैं भी कोशिश कर सकती हूँ|
जवाब देंहटाएंआप सबका भी आपकी अभिरुचि के लिए आभार। एक जानकारी और इसके पहले भी मैं एक ब्लॉगर सुश्री रंजना सिंह कहानी पर शॉर्ट फिल्म बना चुका हूं, जिसे कॉस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, ग्रीस से स्क्रीनिंग का आमंत्रण मिला। टिप्पणी करने वालों में से जिन साथियों की ई मेल आईडी मैं तलाश सका, उन सभी को शॉर्ट फिल्म का विचार भेजा जा चुका है। फिर भी, अगर कहीं भूल चूक से कोई छूट गया हो तो इत्तला देने का मेहरबानी करें।
जवाब देंहटाएंगिरीश जी, मनोज, अजय, आलोक, समीर भाई, राजकुमार जी, अख्तर भाई, अविनाश जी और बीना जी - आप सबका हार्दिक आभार।
Great work
जवाब देंहटाएंThanx for The Info Sir...
जवाब देंहटाएं"RAM"