शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

जब कसी जाएगी कसौटी !


कि,
भरोसा बार बार क्यूं करता हूं.
कि धोखा बार बार,
क्यूं पाता हूं,


हर चमक
कुंदन नहीं होती,
मन को समझाता हूं,
पर, बावरा मन,
कसौटी को करता दरकिनार,
खुद ही चल देता है
खुद को कसने कसौटी पर।


कि
कभी तो कसौटी
को भी कसा जाएगा,
और, तब, होगा हिसाब,
हुनर का, हौसले का,
और कसौटी पर कसने वालों का..


(पंशु. 07102012)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें