बुधवार, 29 अप्रैल 2015

ये नाता है जो रूहों का....
पंशु 09102014


मेरी आंखों का दरिया ये
न उतरा है न उतरेगा।
ये नाता है जो रूहों का,
ना बदला है ना बदलेगा।
जरूरी था कि
हम दोनों फर्क इस बात का करते,
अगर है ये प्यार सच्चा है,
ना बदला है ना बदलेगा।

मेरी आंखों का दरिया ये
न उतरा है न उतरेगा।

मुझे सब है याद है अब भी,
तुम्हारे दिल की हर धड़कन,
मोहब्बत का मसीहा,
इक जो ख्वाबों से उठाया था।
मेरा ये फैसला अब भी
तुम्हारी ही इबादत है,
हूं काफिर तो होता हूं,
खुदा अब तू ही मेरा है।
तेरा हो फैसला अब तो,
मेरा जो था वो तेरा है।
क्या तुमको याद आता है,
मोहब्बत का हसीं मंजर,
क्या लगता है तुमको ये,
धड़कना दिल ये भूलेगा।

मेरी आंखों का दरिया ये
न उतरा है न उतरेगा।
ये नाता है जो रूहों का,
ना बदला है ना बदलेगा।


(राहत फतेह अली खान के गाए मशहूर गीत "तेरी आँखों के दरिया का, उतरना भी ज़रूरी था। मोहब्बत भी ज़रूरी थी , बिछड़ना भी ज़रूरी था l l" की प्रतिक्रिया में ये गीत 9 अक्टूबर 2014 को लिखा था।)

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