बुधवार, 8 जनवरी 2014

बेटी ही बचाएगी

गया वो ज़माना जब हम गुहार लगाते थे, बेटी बचाओ, बेटी बचाओ। अरे, बेटी तो खुद हमको बचा रही है। न मां होती न हम होते। वही तो सृष्टि की शुरूआत है। वही तो घर, समाज और परिवार को बचाती है। तो अब हमें ये मान लेना चाहिए – बेटी ही बचाएगी। मेरी ये नई कविता इन्हीं भावनाओं को समर्पित है। हिंदी के सबसे बड़े अख़बारों में से एक “अमर उजाला” की अनोखी पहल “बेटी ही बचाएगी” के लिए लिखी गई इस कविता को मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने स्वर दिए हैं।

पंकज शुक्ल

(फिल्म 'गुलाब गैंग' के अपने किरदार रज्जो देवी के गेटअप में माधुरी दीक्षित और फिल्म के निर्माता अनुभव सिन्हा मुंबई में 'बेटी ही बचाएगी' मुहिम का पोस्टर जारी करते हुए)

मां
आशीर्वाद देगी
और,
पैरों पर
चलना सिखाएगी।

बहन
साथ देगी
और,
इज़्ज़त से
जीना सिखाएगी।

बीवी
हौसलों को
परवाज़ देगी
और,
ताक़त
बटोरना सिखाएगी।

और, बेटी?

बेटी तो
घर की लक्ष्मी थी,
है और रहेगी..

और, जब भी
घर, परिवार
और समाज पर
मुसीबत आएगी,

बेटी ही बचाएगी।
बेटी ही बचाएगी।

© पंकज शुक्ल 2014