हो चैन का सवेरा,
खुशियों का हो बसेरा,
हर पेट में हो रोटी,
महफूज़ हरेक एक बेटी,
क्या जंग से मिला है?
बस गम का सिलसिला है।
बोलो के पहरेदारों से,
खतरा तो गद्दारों से,
फूलो फलो तुम भी,
गुलज़ार रहें हम भी,
जन गण हमें मुबारक,
तराना तुम्हें मुबारक।
आज़ादी तुम्हें मुबारक,
आज़ादी हमें मुबारक।
पंशु. - 14082013