रविवार, 13 नवंबर 2011

बदगुमानियों का बिग बॉस

पहले लोग कहते थे कि बद अच्छा बदनाम बुरा। अब जमाना बदल गया है। बद अच्छा हो न हो पर बदनाम जरूर अच्छा हो गया है। छोटे परदे पर बदगुमानियों का नया बाजार सज चुका है। लोग इस बाजार में अपनी दुकान सजाने के लिए खुद ही कीचड़ में कूदने को तैयार हैं। और, टीवी चैनल बाहें पसारे और तिजोरियां खोले ऐसे लोगों का स्वागत भी करने को बेताब हैं।


पंकज शुक्ल

दामन के दाग अच्छे बताने के दौर में हर किसी को अपनी कमीज दूसरे से सफेद बताने का जमाना अब चला गया। अब वक्त है विवादों से सुर्खियां बटोरने का। और, विवाद जब लगे कि करियर आगे बढ़ाने और लाइम लाइट में बने रहने का एक जरिया बन जाएं तो साथ मिलता है बिग बॉस का। पांच साल से लगातार चलते आ रहे छोटे परदे के सबसे बड़े विवादों को जन्म देने वाले रिएल्टी शो बिग बॉस में इस बार स्वामी अग्निवेश की एंट्री ने लोगों को चौंका दिया। कहां बिग बॉस की इस गंगा में बंटी चोर, सीमा परिहार, मोनिका बेदी, वीना मलिक और कमाल राशिद खान जैसे लोग अपने हाथ धोते रहे और कहां स्वामी अग्निवेश? लेकिन जैसा कि हालिया रिलीज फिल्म रॉक स्टार में जनार्दन जाखड़ का साथी खटाना उसे समझाता है कि एवरीथिंग इज इमेज, कुछ कुछ वैसे ही बिग बॉस भी लोगों की बिगड़ी इमेज सुधारने का शॉर्ट कट बन गया है। पहले लोग बिग बॉस का मेहमान बनने के लिए अपनी साख पर जानबूझकर बट्टा लगवाते हैं और फिर कभी रो कर कभी दूसरों को धो कर अपनी इसी इमेज को सुपर रिन की चमकार सरीखा चमकाने की कोशिश करते हैं।

पिछले साल बिग बॉस का चौथा सीजन शुरू होने की सरगर्मी शुरू होते ही बीते जमाने की एक मशहूर अदाकारा और म्यूजिक अलबमों की चर्चित कलाकार ने अपना पीआर देखने वाले को फोन किया। चाहत ये थी कि किसी तरह ये बंदा अपने संबंधों का इस्तेमाल करके उसका नाम किसी बड़े विवाद में घसीटने का इंतजाम कर दे। इस अदाकारा ने अपने हिस्से भी जितने जुगाड़ थे, सब लगाकार बिग बॉस बनाने वाले प्रोडक्शन हाउस पर खूब डोरे डाले। लेकिन, मामला जम न सका। आप भी अगर गौर करें तो पाएंगे कि पिछले पांच साल से हर बार जब भी बिग बॉस शुरू होने को होता है, कोई न कोई छुटभैया कलाकार अपने जीवन का कुछ ऐसा सत्य लोगों के सामने लाने को तड़पने लगता है जिसे सुनकर लोगों के पैरों के नीचे की जमीन खिसके न खिसके, सिर के ऊपर का आसमान जरूर एकाध इंच इधर का उधर हो जाए। इसी साल बिग बॉस शुरू होने से ऐन पहले एवरग्रीन अभिनेता और निर्देशक देव आनंद की खोज कही जाने वाली एक अदाकारा ने खुद के लेस्बियन होने का सरेआम ऐलान कर दिया। चाहत वही कि आग लगे न लगे लेकिन इतना धुंआ तो उठ ही जाए कि बिग बॉस बनाने वाले उसके करियर बचाने के इस आपातकालीन सिगनल को समझ जाएं।

आप भी अगर गौर करें तो पाएंगे कि पिछले पांच साल से हर बार जब भी बिग बॉस शुरू होने को होता है, कोई न कोई छुटभैया कलाकार अपने जीवन का कुछ ऐसा सत्य लोगों के सामने लाने को तड़पने लगता है जिसे सुनकर लोगों के पैरों के नीचे की जमीन खिसके न खिसके, सिर के ऊपर का आसमान जरूर एकाध इंच इधर का उधर हो जाए। इसी साल बिग बॉस शुरू होने से ऐन पहले एवरग्रीन अभिनेता और निर्देशक देव आनंद की खोज कही जाने वाली एक अदाकारा ने खुद के लेस्बियन होने का सरेआम ऐलान कर दिया।

वैसे बिग बॉस बनाने वाले इस मामले में इतने उदार रहे हैं कि पुरुषों और महिलाओं को एक नजरिए से देखते हैं। झगड़ा चाहे श्वेता तिवारी के घर में हो या मनोज तिवारी के। उनकी नजर सब पर समान रूप से पड़ती है। यही नहीं पहले सीजन से ही वो पुरुष और महिलाओं का ये भेद मिटाने वाले कुछ कलाकारों पर भी मेहरबान रहे हैं। बॉबी डार्लिंग, रोहित वर्मा, नवाजिश अली से लेकर लक्ष्मी तक ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। मामला शेरलिन चोपड़ा, राहुल महाजन, कमाल राशिद खान, खली और राखी सावंत जैसे लोगों से जुड़ा हो तो बिग बॉस को अपनी थैलियां खाली करने में भी कोई एतराज नहीं होता। छोटे परदे पर बदनामी को बेचने का ये फॉर्मूला बिग बॉस ने ही ईजाद किया और इसके बदले खूब कमाई भी की। वैसे बिग बॉस की इस गणित के पीछे एक बड़ा मनोविज्ञान भी काम करता है। मशहूर मनोचिकित्सक पवन सोनार कहते हैं कि हर इंसान के भीतर अच्छे और बुरे की पहचान करने की काबिलियत तो होती है लेकिन कई बार किसी किसी को अपनी बदगुमानियों में भी मजा आने लगता है। नकारात्मक किरदारों की कहानियों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की मीडिया की परंपराओं से ये लोग अपनी खुराक पाते हैं और सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ न कुछ उल्टा सीधा करते रहते हैं।

राखी सावंत को इस मामले में सबसे आगे की चीज माना जाता है। इतना आगे कि वह छोटे परदे पर अपना स्वयंवर फिर से करने को तैयार हैं। वैसे तो इस सीजन के लिए संबंधित चैनल द्वारा पाकिस्तानी अदाकारा वीना मलिक का नाम फाइनल करने की बात करीब करीब पक्की हो चुकी है, लेकिन राखी भी दौड़ में शामिल रहना चाहती हैं। राखी सावंत जैसों ने ही छोटे परदे को बदनामी का बाजार बनाया और अब तक इसके जरिए खूब कमाई करती रही हैं। इन रिएल्टी शोज की अपनी शोहरत शुरू के दिनों में ऐसी रही कि देश के हर न्यूज चैनल ने इन कार्यक्रमों की क्लिपिंग घंटों घंटों चलाकर टीआरपी बटोरी और सरकार को भी होश तब आया जब राखी सावंत की एक टिप्पणी से कथित रूप से दुखी होकर झांसी के एक व्यक्ति ने आत्महत्या तक कर ली। ऐसे शो बनाने वालों की सूचना और प्रसारण मंत्रालय में लंबी पहुंच बताई जाती है और दिल्ली तक ही नहीं कुछ लोगों की पहुंच तो पड़ोसी मुल्कों के उन लोगों तक बताई जाती है जो ऐसे कार्यक्रमों के जरिए अपने पैसों पर लगे दाम भी इस गंगा में धोना चाहते हैं। इस बारे में मुंबई पुलिस को जानकारियां भी मिली। बीते साल इसे लेकर जांच भी शुरू हुई पर नतीजा वही ढाक के तीन पात।

बिना किसी तार्किक विवेचन के छोटे परदे पर इन दिनों हर तरह के कार्यक्रम बन रहे हैं। खाली दिमाग में रचे जाने वाले इन घरों में जो आबादी बसती जा रही है, उसका एक निशाना और भी है और वह है लोगों के दिमाग से सही और गलत की पहचान मिटा देना। समाज में कभी तिरस्कृत माने जाने वालों लोगों को ये कार्यक्रम अपने लिए सहानुभूति जुटाने का एक मंच देते हैं और बदले में पाते हैं दूसरों की दुखती रग में मजा लेने वालों से मिलने वाली टीआरपी। टीआरपी का ये खेल भारत के लिए भले नया हो पर टेलीविजन पर बहुत पुराना हो चुका है। यहां सब कुछ पहले से तय होता है। कलाकारों के बीच होने वाली मारपीट और जजों के बीच होने वाला झगड़ा भी। कभी अनु मलिक का करियर बर्बाद कर देने की कसमें खाने वाली अलीशा चिनॉय अब उन्हीं की बराबर की कुर्सी पर बैठकर म्यूजिक रिएल्टी शो जज करती हैं और ऐसे ही एक म्यूजिक रिएल्टी शो की प्रतियोगी की जिंदगी बर्बाद कर देने वाला एक संगीतकार किसी दूसरे शो में युवाओं की प्रतिभा को तराशने का काम भी पा जाता है। कुल मिलाकर, मामला ये कि अगर आप में बदनाम होने की दम है तो टेलीविजन आपको हाथों हाथ अपना सकता है। जानबूझकर पैदा किए गए इन विवादों की परिणति कभी कभी राजा चौधरी जैसे लोगों में भी होती है, जिन्हें मुंबई शहर से ही तड़ीपार कर दिया जाता है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. pnkj bhai aapki baat so tkaa sahi hai smaaj na jane khan ja rha hai or ise hm or aap milkr bhi nhin rok pa rhe hai iski aek bar hme fir koshish krnaa hogi me aapke saath hun .akhtar khan akela kota rajsthan

    जवाब देंहटाएं
  2. जय हो इन सब महानतम व्यक्तित्व और कृतित्व के मालिकों के लिये.

    जवाब देंहटाएं
  3. शुक्रिया अख़्तर भाई, रचना जी और ओपी जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. ऐसे कार्यक्रमों को देखने -करने वाले मानसिक रोगी हैं

    नीरज

    जवाब देंहटाएं