गुरुवार, 25 नवंबर 2010

उसका तमाशा...!!

















गुमनाम न मर जाएं, चलो बदनाम ही सही
ये सोच के ही उसने तमाशा बनाया होगा..।

वो बनके तमाशा सुपुर्द ए खाक हो गए,
मय्यत* के सोगवारों* को मज़ा तो आया होगा..।

उसे गुमान अपने तंज*, अपने तेगे*, अपने नश्तर पर,
किसे पता वो कलमा पढ़ के जिबह* होने आया होगा..।

था उसका ज़ामिन* उसी ने चाक जिगर कर डाला,
किसी फरेब ने उसको भी भरमाया होगा..।

गली, कूंचों में मुझे हर तरफ मोहब्बत ही मिली,
नादान दिल ही मेरा उसको न समझ पाया होगा..।

कहा था मां ने कभी घर से दूर मत जाना,
है छांव सर पे घनी ना उसका सरमाया होगा..।

पं.शु. 

(फोटो कर्टसी- अनुषा जैन)

* मय्यत - शवयात्रा, सोगवार - शोक प्रकट करने वाले, तंज - व्यंग्य, तेगा- खंजर, जिबह - कत्ल, जामिन - जमानत देने वाला।

10 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय पंकज,
    बधाई एक नायाब गज़ल के लिए...

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  2. bahut khoob sir,asha hai ki ab kasid me gazale padhne ko milti rahegi.

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  3. bhaiya ati sunder bahut dino kisi 1 jagah per bahut se achche sabdon ka samayojan dekhne ko mila... badhai sweekar karen...

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  4. सर्, बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आपकी वापसी से प्रसन्नता हुयी। आशा है की ये बेहतरीन गज़ल सिर्फ शुरुआत भर है। अनुरोध है की कुछ टिपिकल उर्दू शब्दों का हिन्दी अनुवाद भी दे दिया करें ताकि हम जैसे लोग अपनी शब्दावली को मजबूत कर सकें। क्या कोई उर्दू-हिंदी डिक्शनरी की वेबसाइट है?

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  5. हेमंत भैये, ज़रूर पढ़ने को मिलेंगी। बस आप यूं ही दाद देते रहिए.

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  6. विजय भाई, बहुत बहुत धन्यवाद। हौसला बढ़ाने के लिए।

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  7. हां. ये बात सही है। इसे अभी से लागू किए देते हैं। ऊर्दू हिंदी की एक बेहतरीन डिक्शनरी बाजार में उपलब्ध है, इस बार दिल्ली जाने पर इसका विवरण मैं तुम्हें भेजूंगा।

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