किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है..! - शैलेंद्र (1959)
सर्, इंटरव्यू अच्छा था....आपने बताया था कि ज़ी के वक्त आपकी आमिर से कुछ अनबन हो गयी थी...क्यो दोस्ती फिर से हो गयी....आमिर ने कुछ पुरानी पर्सनल बातें भी की क्या....
सर्, इंटरव्यू अच्छा था....आपने बताया था कि ज़ी के वक्त आपकी आमिर से कुछ अनबन हो गयी थी...क्यो दोस्ती फिर से हो गयी....आमिर ने कुछ पुरानी पर्सनल बातें भी की क्या....
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