रविवार, 26 अक्तूबर 2008

दीवाली मुबारक़...

आओ एक दीया जलाएं..
आओ एक मुस्कान सजाएं।

कहीं किसी दूर बस्ती में कहीं,
कहीं कोई पास में अपना हो यहीं,
इक टूटे हुए दिल में कोई आस जगाएं..
आओ एक दीया जलाएं..
आओ एक मुस्कान सजाएं।।

इन रस्तों में न हो कांटा भी कोई,
भूल जाएं गर हो अदावत भी कोई,
अंधियारे को हर इक दिल से मिटाएं...
आओ एक दीया जलाएं,
आओ एक मुस्कान सजाएं।।

दीवाली मुबारक़।

कहा सुना माफ़,

पंकज शुक्ल

5 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा िलखा है आपने । दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. दिपावली की शूभकामनाऎं!!


    शूभ दिपावली!!


    - कुन्नू सिंह

    जवाब देंहटाएं
  3. आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं.....

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका इंटरव्यू भड़ास पर पढ़ा...अच्छा लगा..लगा कि कुछ मेरे साथ घटा हुआ बयां हो रहा है...अलबत्ता उम्र और अनुभव में आपसे बहुत कनिष्ठ हूं...लेकिन मानवीय स्वभाव और मनोविज्ञान तो एक जैसा ही होता है न...।

    जवाब देंहटाएं
  5. पंकज जी भड़ास पर आज ही आपका इंटरव्यू पढा और अपने आपको कासिद पर कमेंट करने से रोक नही पाया....सच में इस मुकाम पर पहुँचने के बाद भी आपके अंदर का आम आदमी अभी जिन्दा है जिसे आज भी अपने लोग और अपना गाँव अभी भी याद है......

    जवाब देंहटाएं